🗓️ June 22, 2025
इस लेख में आप जानेंगे: वैश्विक युद्ध स्थल – 2025 में चल रहे सबसे बड़े संघर्ष विषय पर स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी और जानकारीपूर्ण बातें। UdaanPath ब्लॉग का उद्देश्य छात्रों को टेक्नोलॉजी, करियर और जनरल नॉलेज के क्षेत्रों में मार्गदर्शन देना है — आसान भाषा और भरोसेमंद जानकारी के साथ।
वर्ष 2025 में विश्व के विभिन्न हिस्सों में कई सशस्त्र संघर्ष और युद्ध उभर कर सामने आए हैं। ये संघर्ष क्षेत्रीय राजनीति, धार्मिक असहमति, संसाधनों पर नियंत्रण और सामरिक विस्तार की महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित हैं। इस लेख में हम प्रमुख चल रहे संघर्षों पर नज़र डालेंगे।
• 12 जून 2025 को इज़राइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के उद्देश्य से एक बड़ी सैन्य कार्रवाई शुरू की। इस हमले में फ़ोर्डो, नतांज़ और इसफ़हान में स्थित यूरेनियम संवर्धन संयंत्रों को निशाना बनाया गया।
• इज़राइली वायुसेना ने F‑35 लड़ाकू विमानों और हथियारबंद ड्रोन की सहायता से इन ठिकानों पर हमला किया। इन हमलों में AI-guided bunker buster मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया जो भूमिगत परमाणु ठिकानों को भेदने में सक्षम हैं।
• अमेरिका ने इस कार्रवाई को “संयुक्त सुरक्षा कार्रवाई” बताते हुए अपनी USS Eisenhower एयरक्राफ्ट कैरियर से टॉमहॉक मिसाइलें दागीं और B‑2 बॉम्बर विमानों से इसफ़हान परिसर पर हमला किया।
• जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने 150+ मिसाइलें और सशस्त्र ड्रोन तेल अवीव, हाइफ़ा, अशदोद और नेगेव क्षेत्रों में दागे। इन हमलों में सिविलियन एयर डिफेंस सेंटर, स्कूल और अस्पताल प्रभावित हुए।
• अब तक 500 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में नागरिक और बचावकर्मी शामिल हैं। इज़राइल ने अपने नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है, और आपातकालीन चेतावनी प्रणाली (Iron Dome) लगातार सक्रिय है।
• ईरान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे ‘संप्रभुता पर आक्रमण’ करार दिया है, वहीं इज़राइल का दावा है कि यह कार्रवाई उसके "पूर्व-खतरे के सिद्धांत" के तहत हुई है।
• लेबनान के हिज़बुल्लाह गुट ने भी इज़राइल पर रॉकेट दागे, जिससे उत्तरी सीमा पर दोतरफा संघर्ष शुरू हो गया। सीरिया ने अपने सैन्य बेस हाई अलर्ट पर रखे हैं और सऊदी अरब तथा UAE ने सामरिक सतर्कता बढ़ा दी है।
• अंतरराष्ट्रीय स्तर पर UN सुरक्षा परिषद ने आपात बैठक बुलाई है। रूस और चीन ने इज़राइल की कार्रवाई की आलोचना की है, जबकि G7 देशों ने संयम बरतने की अपील की है।
• इस युद्ध से तेल की कीमतों में 20% तक उछाल आया है और वैश्विक शेयर बाज़ारों में भारी गिरावट देखी गई है।
• विशेषज्ञों के अनुसार यदि यह संघर्ष बढ़ता रहा, तो यह पूरे मध्य पूर्व को बड़े पैमाने पर युद्ध की ओर ले जा सकता है — जिसमें ईराक, सीरिया, लेबनान और खाड़ी देश सीधे शामिल हो सकते हैं।
• यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ था, और 2025 में यह संघर्ष अपने चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुका है।
• रूस ने 2025 की शुरुआत में पूर्वी यूक्रेन के सुमी, लुहांस्क, तोरेत्स्क और अवदीवका क्षेत्रों में बड़े सैन्य अभियानों को तेज किया। अत्याधुनिक टैंक, सैंटिनरी आर्टिलरी और ड्रोन स्क्वाडron का उपयोग किया जा रहा है।
• यूक्रेन ने जवाबी कार्रवाई में HIMARS रॉकेट सिस्टम, TB2 ड्रोन, और ब्रिटिश Storm Shadow मिसाइलोंएंड्रीव्का, रोबोटिन और मकारिवका
• अब तक इस युद्ध में 4 लाख से अधिक लोगों की मौत या गंभीर घायल होनेमारियुपोल, बखमुत, खारकीव
• शरणार्थी संकट और गहरा गया है — 11 मिलियन से अधिक लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं, जिनमें से सबसे अधिक पोलैंड, जर्मनी, स्लोवाकिया
• रूस ने बेलारूसपोलैंड-यूक्रेन सीमा
• ब्लैक सी (काला सागर) में रूस ने समुद्री नाकाबंदी तेज की है, जिससे यूक्रेन का अनाज निर्यात बाधित हुआ है — इससे वैश्विक खाद्य संकट बढ़ा है।
• अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन
• रूस ने नाटो पर आरोप लगाया है कि वह "युद्ध को लम्बा खींचने" में सहयोगी है, जबकि पश्चिमी देश इसे "रक्षा की स्वतंत्रता" कह रहे हैं।
• 2025 के मध्य में रूस और यूक्रेन के बीच 6वीं बार कैदी एक्सचेंज (POW swap)
• विशेषज्ञों के अनुसार यह युद्ध शीत युद्ध के बाद की सबसे बड़ी सैन्य टकराव
• अप्रैल 2025 में कश्मीर के शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में आतंकियों ने **धर्म पूछकर 26 हिंदू नागरिकों की हत्या** कर दी। इस वीभत्स घटना ने पूरे भारत को झकझोर दिया।
• भारत सरकार ने इस हमले को "सीधा युद्ध का निमंत्रण" माना और तुरंत एक निर्णायक सैन्य अभियान की घोषणा की — जिसका नाम रखा गया “ऑपरेशन सिंदूर”।
• ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 15 अप्रैल 2025
• भारतीय वायुसेना ने मिराज 2000 और सुखोई-30 की मदद से **बालाकोट, मीरपुर और मुजफ्फराबाद** में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया।
• इस हमले में लगभग 150 आतंकवादी मारे गए और पाकिस्तान के ISI-संचालित 3 ट्रेनिंग कैम्प जमींदोज़ हो गए। भारतीय सेना ने **LoC पार जाकर 5 किलोमीटर अंदर तक घुसकर हमले** किए — जिसे "डायनामिक स्ट्राइक ऑपरेशन" कहा गया।
• पाकिस्तान की जवाबी फायरिंग नाकाम रही — भारत ने “स्वार्म ड्रोन स्क्वाड” और लाइट आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम से सटीक जवाब दिया।
• भारतीय नौसेना ने कराची पोर्ट के पास रेड अलर्ट स्थिति में अपनी पनडुब्बियाँ और निगरानी ड्रोन तैनात कर दिए।
• पाकिस्तान को इस हमले में भारी नुकसान हुआ — न केवल आतंकी ढांचे तबाह हुए, बल्कि सेना के कई बंकर और कम्युनिकेशन पोस्ट भी नष्ट हुए। ISPR ने बाद में स्वीकार किया कि "भारत ने अभूतपूर्व सैन्य दबाव बनाया।"
• भारत के प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन के बाद कहा: “यह सिर्फ बदला नहीं था — यह संदेश था कि भारत अब सहन नहीं करेगा।”
• अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस ऑपरेशन को “India’s Tactical Victory” कहा और कई विश्लेषकों ने इसे 1999 के कारगिल युद्ध के बाद भारत की सबसे बड़ी सैन्य सफलता
• पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र और OIC में विरोध दर्ज किया, लेकिन कोई भी बड़ा देश भारत की कार्रवाई की आलोचना करने आगे नहीं आया।
• ऑपरेशन सिंदूर के बाद, सीमा पर अचानक शांति है लेकिन भारतीय सेना पूरी तरह सतर्क है। खुफिया एजेंसियों को स्पष्ट आदेश हैं — "कोई आतंकी गतिविधि दिखे, तो वहीँ समाप्त करें।"
• मार्च 2025 से बांग्लादेश में गहरी राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिल रही है। राजधानी ढाका, चटगांव, सिलहट और खुलना में सरकार-विरोधी प्रदर्शन हिंसक हो चुके हैं।
• विपक्षी गठबंधन — विशेषकर BNP (Bangladesh Nationalist Party) और जमात-ए-इस्लामी — ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार पर 2024 के आम चुनावों में धांधली और **लोकतंत्र के दमन** का आरोप लगाया है।
• प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, इलेक्शन कमीशन और सरकारी भवनों के बाहर मार्च निकाले। कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें अब तक 50+ लोग घायल हुए हैं और 300+ को गिरफ्तार किया गया है।
• सरकार ने आर्मी को ढाका और चटगांव में फ्लैग मार्चरैपिड एक्शन बटालियन (RAB) को स्थिति नियंत्रण में रखने के लिए तैनात किया गया है। कुछ जिलों में इंटरनेट और सोशल मीडिया सेवाएं अस्थायी रूप से बंद की गई हैं।
• विपक्षी दलों ने 72 घंटे का **पूर्ण राष्ट्रव्यापी बंद (हर्ताल)** घोषित किया, जिससे ट्रांसपोर्ट, बैंकिंग और व्यापार पर भारी असर पड़ा। स्कूल-कॉलेज बंद हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट ठप पड़ी है।
• हालात और जटिल हो गए जब **धार्मिक और जातीय समूहों के बीच झड़पें** भी शुरू हुईं — खासकर रंगपुर और कॉक्सबाजार में। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ इलाकों में अल्पसंख्यकों को निशाना भी बनाया गया।
• अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने चिंता व्यक्त की है — Human Rights Watch और Amnesty International ने राजनीतिक दमन और मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच की मांग की है।
• भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने बांग्लादेश सरकार से शांतिपूर्ण संवाद और पारदर्शी मध्यावधि चुनाव
• राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यदि यह संकट जल्द नहीं सुलझा, तो यह **साउथ एशिया की स्थिरता, बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और क्षेत्रीय सुरक्षा पर** बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
• साथ ही, भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी सुरक्षा चौकसी बढ़ा दी गई है, ताकि कोई भी उग्र तत्व सीमापार हिंसा या घुसपैठ का प्रयास न कर सके।
• सूडान में अप्रैल 2023सरकारी सेना (SAF - Sudanese Armed Forces) और RSF (Rapid Support Forces) के बीच सत्ता पर नियंत्रण को लेकर चल रही है।
• संघर्ष के मुख्य केंद्र हैं: खार्तूम (राजधानी), अल ओबैद, न्याला, पोर्ट सूडानदारफर क्षेत्र
• अब तक 60,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं
• भोजन, पानी, बिजली, स्वास्थ्य सेवाएं और संचार नेटवर्क पूरी तरह चरमरा चुके हैं25 मिलियन लोग भुखमरी के कगार पर हैं और कई क्षेत्रों में सहायता पहुँच पाना असंभव हो गया है।
• संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस और डब्ल्यूएचओ जैसी एजेंसियाँ लगातार संघर्षविराम की अपील कर रही हैं, लेकिन किसी भी पक्ष की गंभीर भागीदारी नहीं देखी गई है। UN ने इसे "21वीं सदी की सबसे भीषण मानवीय त्रासदी" कहा है।
• मिस्र, इरिट्रिया और चाड
• खार्तूम में संघर्ष शहरी युद्ध में बदल चुका है — जहाँ स्नाइपर्स, टैंक और ड्रोन का उपयोग आम हो गया है। नागरिक क्षेत्रों को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है।
• अफ्रीकी यूनियन और अरब लीग की शांति वार्ताएँ अब तक विफल रही हैं। कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद, कोई स्थायी समाधान सामने नहीं आया है।
• विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह युद्ध इसी गति से जारी रहा तो यह न केवल सूडान को विभाजित कर सकता है, बल्कि पूरा उत्तर-पूर्वी अफ्रीका अस्थिरता की चपेट में आ सकता है — खासकर इथियोपिया, दक्षिण सूडान और चाड के लिए।
• मौजूदा हालात में सबसे बड़ी चिंता है — **नागरिकों का पूर्ण बहिष्करण**, मानवीय सहायता का रुक जाना, और RSF द्वारा किये जा रहे अत्याचार, जिनमें **महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा, जबरन भर्ती, और सामूहिक नरसंहार** शामिल हैं।
• सोमालिया में फरवरी 2025 से आतंकी संगठन अल-शबाब की गतिविधियाँ अचानक तेज़ हो गई हैं। अल-कायदा से संबद्ध यह समूह अब केवल आतंकवाद नहीं, बल्कि स्थानीय शासन व्यवस्था को चुनौती देने की स्थिति में पहुंच गया है।
• अल-शबाब ने मध्य सोमालिया के गल्गुदुद, हीरान और लोअर शब्बेले क्षेत्रों में दर्जनों कस्बों और सामरिक चौकियों पर कब्जा कर लिया है। इन इलाकों में समूह ने **शरिया-आधारित नियंत्रण** स्थापित किया है और स्थानीय अदालतें, कर प्रणाली और गश्त शुरू कर दी हैं।
• अब तक 500 से अधिक लोगों की हत्या हो चुकी है, जिनमें नागरिक, पत्रकार, शिक्षक और सरकारी अधिकारी शामिल हैं। आतंकियों ने सरकारी भवनों, स्कूलों और रेडियो स्टेशनों को बम से उड़ा दिया है।
• अफ्रीकी यूनियन (ATMIS मिशन) और अमेरिकी सेना की AFRICOM इकाई ने ड्रोन स्ट्राइक और विशेष ऑपरेशन से जवाबी कार्रवाई शुरू की है। हाल ही में एक स्ट्राइक में अल-शबाब का टॉप फाइनेंस कमांडर मारा गया।
• इसके बावजूद, सोमालियाई सरकार की कमजोर प्रशासनिक पकड़ और सेना की सीमित क्षमता के कारण अल-शबाब की पकड़ ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती जा रही है। राजधानी मोगादिशु भी खतरे की स्थिति में है — जहां हाल ही में आत्मघाती बम विस्फोट में 27 लोग मारे गए।
• संगठन अब सोमालिया–केन्या सीमा के पास भी सक्रिय हो चुका है और गारिसा, मंडेरा और लामू जिलों में घुसपैठ की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता और अधिक गहराई है।
• मानवीय संकट भी गंभीर होता जा रहा है — लगभग 2.6 मिलियन लोग विस्थापित हो चुके हैं और 1.4 मिलियन से अधिक बच्चों को तत्काल पोषण सहायता की आवश्यकता है। UNHCR और UNICEF के प्रयास भी सुरक्षा कारणों से सीमित हैं।
• सोमालियाई संसद में विपक्षी नेताओं ने सरकार पर **"सुरक्षा में विफलता"** का आरोप लगाया है और संयुक्त राष्ट्र से स्थायी शांति मिशन की मांग की है।
• विशेषज्ञों के अनुसार, यदि अल-शबाब का प्रभाव इसी तरह बढ़ता रहा, तो सोमालिया एक बार फिर **1990 के दशक जैसे अराजकता और राज्यविहीनता** की ओर बढ़ सकता है — जिसका सीधा असर **अफ्रीका के हॉर्न क्षेत्र, भारत महासागर व्यापार और वैश्विक समुद्री सुरक्षा** पर भी पड़ेगा।
• 2025 में ताइवान जलडमरूमध्य फिर से वैश्विक तनाव का केंद्र बन गया है। चीन ने "वन-चाइना पॉलिसी" के तहत ताइवान को जबरन मिलाने की प्रक्रिया को तेज़ कर दिया है।
• मार्च 2025 में ताइवान की नई राष्ट्रपति लाई छिंग-ते ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि "ताइवान एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश है, जिसकी रक्षा हम हर कीमत पर करेंगे।" इस बयान के बाद बीजिंग ने तीखी प्रतिक्रिया दी और सैन्य अभ्यास शुरू कर दिए।
• चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने 100 से अधिक युद्धक विमान, 30+ नौसैनिक पोत और मिसाइल डिफेंस सिस्टम
• 4 अप्रैल 2025DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइलों का लाइव टेस्ट साउथ चाइना सी में किया। साथ ही, साइबर हमले
• जवाब में, ताइवान ने आर्म्ड रेसर्व एक्टिवेशन की घोषणा की और अमेरिका से प्राप्त F-16 Viper, Patriot-3 मिसाइल डिफेंस और नौसेना उपकरण को तैनात किया।
• अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया
• अमेरिका ने USS Ronald Reagan कैरियर ग्रुप को ताइवान स्ट्रेट के पास तैनात किया है, और जापान ने ओकिनावा द्वीप पर अतिरिक्त सैन्य बैटरी लगाई है।
• चीन ने इन कार्रवाइयों को "सीधा हस्तक्षेप" बताया और चेतावनी दी कि "ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करना, युद्ध को आमंत्रण देना है।"
• वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर दिखने लगा है — ताइवान से **चिप सप्लाई** बाधित हुई, जिससे **सेमीकंडक्टर बाजार** में भारी उतार-चढ़ाव आया है। चीन और अमेरिका के बीच **ट्रेड वॉर** फिर से तेज़ होता दिख रहा है।
• कई रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 की स्थिति 1996 ताइवान स्ट्रेट क्राइसिस से कहीं अधिक खतरनाक है। यदि दोनों पक्षों ने संयम नहीं बरता, तो यह टकराव **तीसरे विश्व युद्ध** जैसी स्थिति को जन्म दे सकता है।
• म्यांमार में फरवरी 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद से शुरू हुआ असंतोष अब 2025 तक एक पूर्ण **गृहयुद्ध** में बदल चुका है। तानाशाह जुंटा सरकार (Tatmadaw) और नागरिक विद्रोही बलों (Peoples Defense Forces - PDFs) के बीच देशव्यापी संघर्ष जारी है।
• म्यांमार के सागाइंग, चिन, कचिन और कायिन राज्यों में PDFs और जातीय सशस्त्र संगठनों ने मिलकर सेना के ठिकानों पर हमला किया। कई कस्बों को सैन्य नियंत्रण से मुक्त करा लिया गया है।
• अक्टूबर 2024सेना की चौकियाँ विद्रोही समूहों द्वारा जब्त की जा चुकी हैं। Tatmadaw ने जवाबी कार्रवाई में हवाई हमले, रॉकेट लॉन्चर और आर्टिलरी का व्यापक इस्तेमाल किया है — जिससे नागरिक इलाकों को भी भारी नुकसान हुआ है।
• संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 55,000+ नागरिक मारे गए हैं, और 25 लाख से अधिक लोग अपने घर छोड़कर विस्थापित हो चुके हैं।
• राजधानी नेपीडॉ और यांगून में भी विस्फोट और विरोध प्रदर्शन सामान्य हो गए हैं। जुंटा सरकार ने इंटरनेट बंदी, मीडिया सेंसरशिप और मार्शल लॉ लागू कर दिया है।
• रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति और खराब हो गई है। हजारों रोहिंग्या फिर से बांग्लादेश सीमा की ओर भागे हैं, जिससे **रिफ्यूजी क्राइसिस** दोबारा पैदा हो गया है।
• ASEAN (दक्षिण-पूर्व एशियाई संगठन) द्वारा शुरू की गई शांति वार्ता अब तक विफल रही है। थाईलैंड और इंडोनेशिया की मध्यस्थता के बावजूद Tatmadaw कोई रियायत देने को तैयार नहीं है।
• अमेरिका और यूरोपीय संघ ने जुंटा सरकार पर **कड़े आर्थिक प्रतिबंध** लगाए हैं, जबकि चीन और रूस ने चुपचाप सामरिक सहयोग बनाए रखा है। इस वजह से संघर्ष को बाहरी समर्थन भी मिल रहा है।
• मानवाधिकार संगठनों ने Tatmadaw पर नरसंहार, यौन हिंसा, जबरन भर्ती और बच्चों के खिलाफ हिंसा जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
• विशेषज्ञों के अनुसार, म्यांमार में यह संघर्ष लंबे समय तक जारी रह सकता है और यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो यह **संपूर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया को अस्थिर** कर सकता है — विशेषकर **भारत, बांग्लादेश, थाईलैंड और चीन की सीमाओं** पर।
• 2022 में समाप्त हुआ टिग्रे संघर्ष अब 2025 में एक नया और अधिक व्यापक संघर्ष के रूप में फिर से उभरा है। इस बार केवल टिग्रे नहीं, बल्कि अमहारा क्षेत्र भी सशस्त्र विद्रोह की चपेट में है।
• इथियोपिया की सरकार और टिग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) के बीच हुई अस्थायी शांति संधि विफल हो चुकी है। TPLF ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने पुनर्निर्माण और क्षेत्रीय स्वायत्तता के वादों को तोड़ा है।
• दूसरी ओर, अमहारा क्षेत्र में "फानो मिलिशिया" ने भी हथियार उठा लिए हैं। वे केंद्र सरकार पर क्षेत्रीय अधिकारों को कुचलने और सैनिक अत्याचार का आरोप लगा रहे हैं।
• दोनों संघर्ष अब में एक साथ चल रहे हैं — जिसमें गोंडर, बहिर दर, मैकेले और लालिबेला जैसे प्रमुख शहर प्रभावित हैं। रिपोर्टों के अनुसार, सरकारी सेना, TPLF और फानो मिलिशिया के बीच त्रिकोणीय संघर्ष शुरू हो गया है।
• अब तक 20,000+ लोगों की मौत हो चुकी है, और लगभग 30 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं। खेत, अनाज भंडार और बिजली ग्रिड पर हमलों के कारण भुखमरी और अकाल जैसी स्थिति पैदा हो गई है।
• एरिट्रिया ने भी सीमा पर सेना तैनात कर दी है और कुछ क्षेत्रों में गुप्त रूप से सैन्य हस्तक्षेप की आशंका जताई जा रही है।
• मानवाधिकार संगठनों ने आरोप लगाया है कि कई गांवों में जातीय सफाया, बलात्कार और जबरन बच्चों को सैनिक बनाने जैसी घटनाएं हो रही हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इन क्षेत्रों में "संरक्षित मानवीय गलियारे" की मांग की है।
• अफ्रीकी यूनियन की शांति वार्ता दो बार विफल हो चुकी है। अमेरिका, यूरोपीय संघ और AU ने इथियोपिया सरकार पर दबाव डाला है, लेकिन PM अबी अहमद ने इसे “आंतरिक मामला” कहकर ठुकरा दिया है।
• विश्लेषकों के अनुसार, यदि यह संघर्ष बढ़ता रहा तो इथियोपिया **लीबिया या सीरिया जैसी गृहयुद्ध की स्थायी अवस्था** में जा सकता है — जिसका असर सूडान, सोमालिया, केन्या और पूरे हॉर्न ऑफ अफ्रीका पर पड़ेगा।
• 2025 में मेक्सिको एक बार फिर **ड्रग कार्टेल युद्ध** की आग में जल रहा है। देश के कई राज्य नार्को-स्टेट जैसे हालात में पहुँच चुके हैं, जहाँ सरकार का नियंत्रण सीमित हो गया है।
• सिनालोआ कार्टेल और CJNG (Jalisco New Generation Cartel) के बीच **जालिस्को, सिनालोआ, ग्युरेरो और मिचोआकन** राज्यों में भीषण संघर्ष जारी है। कार्टेल ने अपने क्षेत्रों को नियंत्रित रखने के लिए बख्तरबंद ट्रक, विस्फोटक ड्रोन और रॉकेट लॉन्चर तक का उपयोग शुरू कर दिया है।
• केवल 2025 के पहले 5 महीनों में ही 17,000 से अधिक हत्याएँ दर्ज की गई हैं — जिनमें से कई **पब्लिक डिस्प्ले (सार्वजनिक लटकाना, वीडियो रिकॉर्डिंग)** के रूप में डर का माहौल बनाने के लिए की गईं।
• पत्रकार, जज, मेयर और NGO कार्यकर्ता विशेष लक्ष्यों पर हैं — अब तक 40+ पत्रकार मारे जा चुके हैं। फेमस क्राइम रिपोर्टर ओसवाल्डो मोरेनो की हत्या ने राष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश पैदा किया।
• मेक्सिको सरकार द्वारा भेजे गए नेशनल गार्ड और फेडरल पुलिस बलों को भी कई बार **घात लगाकर मारा गया है**। कार्टेलों ने सड़कों पर ब्लॉकेड, पुलिस पर RPG से हमले और जेल से कैदियों को छुड़ाने की कई घटनाएं अंजाम दी हैं।
• अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर भी असर दिख रहा है — **टेक्सास और एरिज़ोना** बॉर्डर पर ड्रग और मानव तस्करी का स्तर चरम पर है। US Border Patrol ने 2025 में अब तक **170 टन फेंटेनिल और कोकीन** जब्त की है।
• अमेरिकी DEA और FBI ने मेक्सिको सरकार से सीधा सैन्य हस्तक्षेप करने की पेशकश की है, लेकिन मेक्सिकन राष्ट्रपति ने “राष्ट्रीय संप्रभुता” का हवाला देकर इसे ठुकरा दिया।
• इस हिंसा ने देश की अर्थव्यवस्था, पर्यटन और निवेश पर भी असर डाला है — कई प्रमुख होटल चेन और मल्टीनेशनल कंपनियाँ अब **मेक्सिको से संचालन समेटने पर विचार** कर रही हैं।
• संयुक्त राष्ट्र, Amnesty International और Human Rights Watch ने इसे **सिस्टमेटिक नरसंहार और न्यायिक विफलता** की स्थिति बताया है, जहाँ **“राज्य के भीतर राज्य”** पनप चुके हैं।
• यदि यही स्थिति बनी रही, तो विशेषज्ञों का मानना है कि मेक्सिको **आधुनिक युग का कोलंबिया या सीरिया** बन सकता है — एक ऐसा देश जहाँ युद्ध घोषित नहीं है, पर युद्ध हर दिन हो रहा है।
• एक दशक से अधिक समय तक चले विद्रोह और गृहयुद्ध के बाद, सीरिया आज भी शांति से कोसों दूर है। 2025 में देश के उत्तर और पूर्वी हिस्सों में **ISIS के लड़ाके फिर से सक्रिय** हो चुके हैं।
• रक्का, देइर एज़-ज़ोर और हसाकाह क्षेत्रों में ISIS ने स्लीपर सेल्स की मदद से सैन्य चौकियों, जेलों और काफिलों पर घातक हमले किए हैं। जनवरी 2025
• अमेरिकी सेना (US CENTCOM) ने ISIS के खिलाफ ड्रोन हमलों और विशेष कमांडो रेड की श्रृंखला शुरू की है। हाल ही में एक ऑपरेशन में ISIS का "वेस्ट सीरिया चीफ" मारा गया।
• दूसरी ओर, रूस समर्थित बशर अल-असद की सरकार ने भी उत्तरी इलाकों में बमबारी तेज़ कर दी है, लेकिन इससे आम नागरिक भारी संख्या में प्रभावित हो रहे हैं।
• तुर्की ने YPG (कुर्दिश मिलिशिया) को “आतंकवादी” घोषित करते हुए सीमा पार ऑपरेशन शुरू कर दिए हैं। अलेप्पो और अफरीन में कुर्द-अरब संघर्ष और जटिल हो गया है।
• मानवीय संकट अब भी चरम पर है — देश के अंदर 7 मिलियन लोग विस्थापित हैं और 13 मिलियन से अधिक को खाद्य सहायता की आवश्यकता है। यूएन एजेंसियाँ बार-बार संघर्षविराम की मांग कर रही हैं।
• ISIS की वापसी के कारण ईराक और जॉर्डन की सीमाओं पर भी हाई अलर्ट है। पश्चिमी देशों को आशंका है कि सीरिया एक बार फिर **वैश्विक आतंकवाद का लॉन्चपैड** बन सकता है।
• सीरियाई विपक्ष अब बिखर चुका है, और असद सरकार धीरे-धीरे सत्ता वापस पा रही है — लेकिन नियंत्रण के बिना क्षेत्रों में अराजकता बढ़ रही है। कई जगहों पर स्थानीय मिलिशिया टैक्स वसूलने और सशस्त्र कानून चला रहे हैं।
• विश्लेषकों के अनुसार, यदि ISIS की वापसी को रोका नहीं गया तो यह केवल सीरिया ही नहीं, बल्कि **पूरा मध्य पूर्व और यूरोप** के लिए भी एक गंभीर सुरक्षा संकट बन सकता है।
वर्ष 2025 को अब तक का सबसे अधिक सामरिक, राजनीतिक और मानवीय रूप से अस्थिर समय कहा जा सकता है। एशिया से लेकर यूरोप, अफ्रीका से लेकर लैटिन अमेरिका तक — दुनिया के कई हिस्से युद्ध, विद्रोह, आतंकवाद, और आंतरिक असंतोष से जूझ रहे हैं।
• मध्य पूर्व में इज़राइल-ईरान और लेबनान संघर्ष भयानक टकराव की ओर बढ़ रहे हैं।
• यूक्रेन-रूस युद्ध और चीन-ताइवान तनाव वैश्विक महाशक्तियों की सीधी टकराव की जमीन बनते जा रहे हैं।
• भारत–पाकिस्तान की सीमा पर भी निर्णायक सैन्य कार्रवाई सामने आई है।
• अफ्रीका के देश — सूडान, इथियोपिया, सोमालिया — गहरे गृहयुद्ध और अकाल की चपेट में हैं।
• लैटिन अमेरिका में मेक्सिको की स्थिति “राज्य के भीतर राज्य” की चेतावनी बन चुकी है।
• सीरिया और म्यांमार जैसे देश अब भी युद्ध और तानाशाही के चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं।
इस व्यापक संकट का प्रभाव केवल युद्धक्षेत्रों तक सीमित नहीं है:
• ऊर्जा आपूर्ति बाधित हो रही है, तेल और गैस की कीमतें अस्थिर हैं।
• खाद्य संकट वैश्विक स्तर पर गहराता जा रहा है — विशेषकर अफ्रीका और दक्षिण एशिया में।
• मानवाधिकार उल्लंघन के मामले बढ़े हैं — जातीय सफाया, यौन हिंसा और मीडिया सेंसरशिप आम हो गई है।
• शरणार्थी संकट नए चरम पर है — करोड़ों लोग अपने ही देशों में विस्थापित हैं या सीमाओं पर अटके हैं।
यदि ये रुझान बिना समाधान के जारी रहे, तो आने वाला दशक आर्थिक मंदी, भू-राजनीतिक ध्रुवीकरण और नवीन वैश्विक संघर्षों का युग बन सकता है। अब केवल सैन्य रणनीति नहीं, बल्कि राजनयिक संवाद, मानवतावादी दृष्टिकोण और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।
इतिहास हमें सिखाता है — जब दुनिया ने संवाद बंद किया, तब युद्ध हुए। 2025 का यह समय एक चेतावनी है कि **यदि हम नहीं बदले, तो आने वाला कल और अधिक भयावह हो सकता है।**
यह लेख खासकर छात्रों, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं और टेक्नोलॉजी में रुचि रखने वालों के लिए लिखा गया है।
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